नई दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले की पहली बरसी पर राहल गांधी के बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है। राहुल गांधी के बयान पुलवामा हमले से सबसे ज्यादा किसे फायदा हआ पर बीजेपी ने घेरा है और कहा कि वह कब तक भारतीय सेना को कोसते रहेंगे। भाजपा ने %पुलवामा से किसे सबसे ज्यादा फायदा हुआ% वाली टिप्पणी के लिए राहुल गांधी की आलोचना की और कहा कि ऐसी टिप्पणियों से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत पर इल्जाम लगाने में मदद मिलती है।भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा ने कहा, पुलवामा हमले को एक साल हुआ है। राहुल गाधा उन्ह श्रद्धाजाल दन का बजाए राजनाात कर रह ह । लश्कर और जैश आतंकी संगठनों के प्रति ज्यादा संवेदना रखते हैं, मगर भारतीय सेना के प्रति नहीं । राहुल ने पाकिस्तान के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा, जबकि जैश ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली थी। राहुल कब तक भारत और सैनिक बलों को कोसते हुए राजनीति करेंगे?वहीं, भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने अपने ट्वीट में राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा पुलवामा में हुआ हमला नृशंस आतंकी हमला था और यह (राहुल का) एक नृशंस बयान है कि किसको फायदा हुआ। मिस्टर गांधी, क्या आप फायदे के आगे भी सोच सकते हैं ? जाहिर तौर पर नहीं। भाजपा प्रवक्ता ने कहा यह तथाकथित गांधी परिवार फायदे के अलावा और कुछ सोच ही नहीं सकता। वे सिर्फ भौतिक रूप से ही भ्रष्ट नहीं हैं।..उनकी आत्माएं भी भ्रष्ट हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को पुलवामा हमले की बरसी पर शहीद जवानों को याद किया और सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि आखिर इस हमले का सबसे ज्यादा फायदा किसे हुआ, इसकी जांच में क्या निकला और सरकार में किस व्यक्ति को जवाबदेह ठहराया गया।अपने ट्वीट के जरिए राहुल गांधी ने तीन सवाल पूछ पूछे थे ।राहुल ने शहीद जवानों के पार्थिव शरीर वाले ताबूतों की तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया, आज जब हम पुलवामा हमले तर में शहीद हुए 40 जवानों को याद कर रहे हैं तो हमें यह पछना है कि इस हमले से सबसे ज्यादा फायदा किसको हुआ? उन्होंने यह सवाल भी किया, हमले की जांच में क्या निकला? हमले से जुड़ी सुरक्षा खामी के लिए भाजपा सरकार में अब तक किसको जवाबदेह ठहराया गया है? बता दें कि पिछले साल 14 फरवरी को जम्मूकश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती आतंकी हमला हुआ था। इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। यह आतंकी घटना इतनी भयावह थी कि इस दिन को भारत के इतिहास में काला दिन माना गया।